नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 39 वकीलों को वरिष्ठ वकील का दर्जा देकर एक और इतिहास रचा है। इनमें 10 महिलाएं भी शामिल हैं. इसके साथ ही सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में साल 2024 में अब तक 100 वकीलों को वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया जा चुका है. इनमें 21 महिला वकील शामिल हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में 2024 से पहले केवल 12 महिलाओं को वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया गया था।
खास बात यह है कि इन लोगों में 39 से 73 साल के वकील शामिल हैं। के परमेश्वर 39 साल के हैं जबकि एमसी ढींगरा 73 साल के हैं। इस सूची में 72 वर्षीय इंदिरा साहनी भी शामिल हैं, जिनके नाम पर ऐतिहासिक आरक्षण निर्णय है कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। एक और बात, सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार मणिपुर के किसी वकील को वरिष्ठ वकील बनाया है. नगांगोम जानिये को वरिष्ठ वकील बनाया गया है.
इन 39 वकीलों को वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया गया
जिन वकीलों को यह दर्जा दिया गया है उनमें नलिन कोहली, शादान फरासत, राहुल कौशिक, के परमेश्वर, रुद्रेश्वर सिंह, एमआर शमशाद और ऋषि मल्होत्रा भी वरिष्ठ अधिवक्ताओं की सूची में शामिल हैं. महिलाओं में बांसुरी स्वराज, अपर्णा भट्ट, अनिनदत्त पुजारी, इंदिरा साहनी, कविता झा आदि शामिल हैं।
बता दें कि जनवरी में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ ने 56 वकीलों को वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया था. इन 11 महिला वकीलों में शोभा गुप्ता, स्वरूपमा चतुर्वेदी, लिज़ मैथ्यू, करुणा नंदी, उत्तरा बब्बर, हरिप्रिया पद्मनाभन, अर्चना पाठक दवे, शिरीन खजूरिया, एनएस नेपिनाई, एस जननी और निशा बागची शामिल हैं। जबकि पहली पीढ़ी के वकीलों में अमित आनंद तिवारी, सौरभ मिश्रा और अभिनव मुखर्जी शामिल थे। इसके बाद मार्च में फिर सुप्रीम कोर्ट ने पीवी दिनेश समेत पांच वकीलों को वरिष्ठ वकील बनाया, अब इन 39 वकीलों के साथ यह संख्या बढ़कर 100 हो गई है.
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