पीएमएवाई योजना के तहत गाजियाबाद में कुल 11 डेवलपर्स को फ्लैट बनाने हैं।अभी तक आधे से भी कम डेवलपर्स ने PMAY प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है. बिल्डर को प्रोजेक्ट आवंटन के 24 महीने के भीतर काम पूरा करना होगा।
नई दिल्ली गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने राजनगर एक्सटेंशन में सिग्नेचर होम्स प्रोजेक्ट का लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह कदम प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत डेवलपर्स द्वारा फ्लैट बनाने में विफल रहने के बाद उठाया गया है। सिग्नेचर होम्स को 400 फ्लैट बनाने थे। जीडीए ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत किफायती मकान बनाने के लिए डेवलपर्स को कई रियायतें दी थीं। इनमें विकास शुल्क और भूमि उपयोग शुल्क पर 50 प्रतिशत की छूट शामिल है।
गौरतलब है कि पीएमएवाई योजना के तहत कुल 11 डेवलपर्स को गाजियाबाद में 6,481 पीएमएवाई इकाइयां बनानी थीं, लेकिन अब तक इनमें से 50 प्रतिशत से भी कम डेवलपर्स ने काम शुरू किया है। अभी तक किसी भी डेवलपर ने लाभार्थियों को ये किफायती आवास इकाइयां आवंटित नहीं की हैं। सरकारी रियायतों के बावजूद डेवलपर्स इस योजना के प्रति उदासीन हैं।
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काम भी शुरू नहीं किया
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जीडीए के चीफ आर्किटेक्ट और टाउन प्लानर अजय सिंह ने कहा कि सिग्नेचर होम्स का लाइसेंस रद्द करने का फैसला लखनऊ में हुई एक समीक्षा बैठक के बाद लिया गया। बैठक में बताया गया कि डेवलपर ने 400 से अधिक पीएमएवाई इकाइयों के साथ परियोजना शुरू नहीं की है। सिंह ने कहा, “डेवलपर ने अभी तक काम शुरू नहीं किया है और किसी भी घर खरीदार ने निवेश नहीं किया है।”
इस प्रोजेक्ट को 24 महीने में पूरा किया जाना था
अजय सिंह ने यह भी बताया कि प्रोत्साहन पाने के लिए डेवलपर्स को 24 महीने के भीतर प्रोजेक्ट पूरा करना होता है, लेकिन सभी डेवलपर्स इस समय सीमा को पार कर चुके हैं, जिसके कारण वे अब किसी भी रियायत के पात्र नहीं हैं। सिंह ने कहा, “हम फिलहाल यह जानकारी जुटा रहे हैं कि वास्तव में कितनी इकाइयां तैयार हैं।” जानकारी मिलने के बाद उन्हें लाभार्थियों को सौंप दिया जाएगा।’
वहीं, एक डेवलपर ने देरी के लिए सरकार को दोषी ठहराया और कहा कि पीएमएवाई के तहत शुरुआती प्रोत्साहन पर्याप्त नहीं थे। इसके चलते डेवलपर्स में पीएम आवास प्रोजेक्ट को लेकर कोई उत्साह नहीं है। पीएमएवाई के तहत प्रति यूनिट लागत 4.5 लाख रुपये है, जिसमें से केंद्र सरकार 1.5 लाख रुपये का योगदान देती है, उत्तर प्रदेश सरकार 1 लाख रुपये वहन करती है और शेष लाभार्थी द्वारा वहन किया जाता है।
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पहले प्रकाशित: 18 अगस्त, 2024, 08:28 IST