नई दिल्ली:
देशभर में व्यापारियों ने रक्षाबंधन (रक्षा बंधन 2024) बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस साल राखी का त्योहार व्यापारियों के लिए बेहद खास रहा और पिछले साल की तुलना में बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर रही. पिछले कई सालों की तरह इस साल भी चीन से न तो राखियां खरीदी गईं और न ही राखियों का सामान मंगवाया गया। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के मुताबिक, देशभर के बाजारों में राखी खरीदने के लिए उपभोक्ताओं की भीड़ उमड़ पड़ी, जिसके चलते राखी की बिक्री के पिछले सालों के सारे रिकॉर्ड टूट गए.
CAIT ने कहा कि राखी के त्योहार के दौरान राखियों का कारोबार करीब 12 हजार करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इसके साथ ही मिठाई, गिफ्ट आइटम और कपड़े आदि का कारोबार भी करीब 5 हजार करोड़ रुपये का होने का अनुमान है.
ये राखियां विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं
CAIT के राष्ट्रीय महासचिव और चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल को उनके घर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय संगठन की बहनों ने राखी बांधी. खंडेलवाल और कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भारती ने बताया कि इस साल ‘तिरंगा राखी’ और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ राखियां आकर्षण का केंद्र रहीं. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ की कोसा राखी, कोलकाता की जूट राखी, मुंबई की रेशम राखी, नागपुर की खादी राखी, जयपुर की सांगानेरी कला राखी, पुणे की बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना की ऊनी राखी, स्वदेशी उत्पादों वाली बांस की राखी बनाई गई झारखंड में असम की चाय पत्ती राखी, केरल की खजूर राखी, कानपुर की मोती राखी, वाराणसी की बनारसी कपड़ा राखी, बिहार की मधुबनी और मैथिली कला राखी, पांडिचेरी की सॉफ्ट स्टोन राखी, बेंगलुरु की फूल राखी आदि शामिल हैं।
2018 की तुलना में राखियां चार गुना बिकीं
उन्होंने कहा कि 2018 में राखी के 3000 करोड़ के व्यापार से शुरू होकर 6 साल में यह आंकड़ा 12000 करोड़ तक पहुंच गया है, जिसमें से सिर्फ 7% व्यापार ही ऑनलाइन हुआ है. उन्होंने कहा कि राखियों से भावनात्मक जुड़ाव के कारण लोग उन्हें देखकर अपने लिए राखियां खरीदते हैं और यही कारण है कि इस साल राखियों का कारोबार अच्छा रहा है.