नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं. सीबीआई जांच का दायरा भी बढ़ता जा रहा है. इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. इसके साथ ही लोगों का गुस्सा सड़कों पर देखने को मिल रहा है. ममता सरकार के 13 साल के कार्यकाल में शायद पहली बार इस मामले को लेकर सत्ता विरोधी माहौल बन रहा है. शायद यही वजह है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा ले रही हैं.
1998 में ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस नाम से अपनी पार्टी बनाई। 2011 के विधानसभा चुनाव में बंगाल के सिंगूर में टाटा की नैनो कार परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण का मुद्दा बड़ा मुद्दा बना था. इस मुद्दे को ममता बनर्जी ने बखूबी भुनाया और अपनी राजनीति के लिए जमीन तैयार की.
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एक तरफ विपक्ष प्रशासन की लापरवाही को मुद्दा बनाकर ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग कर रहा है. दूसरी ओर, उनकी पार्टी के नेता और यहां तक कि भारत गठजोड़ के सहयोगी भी ममता सरकार पर हमला बोल रहे हैं. यह भी कहा जाता है कि जब भी ममता बनर्जी राजनीतिक मुसीबत में फंसती हैं तो वह पहले से भी ज्यादा मजबूत होकर सामने आती हैं। लेकिन इस बार उनके सामने चुनौती बेहद कड़ी है. क्योंकि देश की सुप्रीम कोर्ट ने भी ममता सरकार पर सवालों की बौछार कर दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये सवाल ममता सरकार से पूछे हैं
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज मामले पर सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि सुबह 10:10 बजे जीडी यानी जनरल डायरी में एंट्री है कि एक लड़की बेहोशी की हालत में मिली. मेडिकल बोर्ड ने बताया कि मौत गला घोंटने से हुई है। यौन शोषण भी एक कारण हो सकता है लेकिन पुलिस ने सुबह 6 से 7 बजे के बीच पोस्टमार्टम कराया. डॉक्टर का अंतिम संस्कार भी हो गया. इतना सब होने के बाद पुलिस ने रात 11.45 बजे एफआईआर दर्ज की. कोर्ट ने सवाल उठाया कि पहले एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई?
ये दलीलें ममता सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने दीं
सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अप्राकृतिक मौत के मामले में गाइडलाइन का पालन किया गया है. हालांकि, सीजेआई ने आपत्ति जताते हुए कहा कि रात 11:30 बजे एफआईआर दर्ज करना उचित नहीं हो सकता. क्योंकि शव सुबह 9.30 बजे ही मिल गया था.
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बंगाल सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जा रहा है
मुख्य न्यायाधीश द्वारा पूछे गए सवाल सीधे तौर पर पश्चिम बंगाल सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं। पहला सवाल- एफआईआर दर्ज करने में 14 घंटे की देरी का कारण क्या है? दूसरा सवाल- कॉलेज प्रिंसिपल खुद एफआईआर के लिए आगे क्यों नहीं आए? तीसरा सवाल- क्या किसी को बचाने की कोशिश की जा रही है? चौथा सवाल- प्रिंसिपल ने इस्तीफा दिया तो उन्हें दूसरा कॉलेज दे दिया गया…ऐसा क्यों और कैसे हुआ? पांचवां सवाल: कोर्ट को इस बात पर भी आपत्ति थी कि मेडिकल बोर्ड ने राय दी थी कि रेप हुआ है. लेकिन पुलिस डायरी की इंट्री से पता चलता है कि पोस्टमार्टम के बाद घटना स्थल की घेराबंदी कर दी गयी थी.
कोलकाता पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध है
कोलकाता मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने पुलिस के रवैये पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, ”मैंने अपने 30 साल के करियर में ऐसा केस नहीं देखा. शव परीक्षण के बाद कैसे अप्राकृतिक मौत की सूचना दी जाती है। एएसपी का आचरण बेहद संदिग्ध है.” क्यों हुआ ऐसा? कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने दावा किया कि क्राइम सीन को भी नष्ट कर दिया गया था.
ममता सरकार ने कहां गलती की?
इस मामले को संभालने में ममता सरकार ने कई गलतियां कीं. सवाल उठ रहे हैं कि रात के अंधेरे में आरजी कार हॉस्पिटल में हजारों की भीड़ कहां से आ गई? बाद में ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि यह हमला बाहरी लोगों के जरिए बीजेपी और लेफ्ट पार्टियों ने कराया है. संदेह के घेरे में थे मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष. आखिर क्यों ममता सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर उन्हें दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया?
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क्या इसका मतलब यह है कि ममता को राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ेगा?
यह पहली बार नहीं है कि बंगाल सरकार को किसी मुद्दे पर इतनी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। चाहे मैसेज मामला हो या आसनसोल हिंसा. ममता बनर्जी पर सवाल उठाए गए हैं. लेकिन उन्होंने उतनी प्रतिक्रिया नहीं दी जितनी टैक्स मुद्दे पर आरजी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
इन बयानों से सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस मामले को लेकर ममता बनर्जी भारी दबाव में हैं? क्या उन्हें अपने सबसे बड़े वोट बैंक के टूटने का ख़तरा दिख रहा है? शायद इसीलिए ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है. पूरे पत्र में ममता ने देश में बढ़ते रेप के मामलों का जिक्र किया, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इसमें कोलकाता मामले का कोई जिक्र नहीं है.
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ममता ने ये पत्र पीएम मोदी को लिखा है
पत्र में ममता ने लिखा- ‘माननीय प्रधानमंत्री जी, मैं आपका ध्यान दिलाना चाहती हूं कि देशभर में रेप के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक कई मामलों में हत्या के साथ बलात्कार भी किया जाता है. ये बेहद भयानक बात है कि देशभर में हर दिन करीब 90 रेप के मामले सामने आते हैं. इससे समाज और राष्ट्र का विश्वास और विवेक हिल जाता है। इसे ख़त्म करना हमारा कर्तव्य है. ताकि महिलाएं सुरक्षित महसूस करें।”
कोलकाता मामले में कहां तक पहुंची सीबीआई की जांच?
कोलकाता मामले में सीबीआई जांच तेजी से आगे बढ़ रही है. सुप्रीम कोर्ट ने आज सीबीआई को पूर्व मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल संदीप घोष और 4 ट्रेनी डॉक्टरों का पॉलीग्राफ टेस्ट करने की इजाजत दे दी. कोलकाता केस के आरोपी संजय रॉय को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, संजय रॉय अक्सर रेड लाइट एरिया में जाते रहते थे. घटना की रात वह भी रेड लाइट एरिया से आया था. दोनों की दो शादियों की खबरें भी सामने आ रही हैं।
कोलकाता बलात्कार और हत्या मामले में किसी नतीजे पर पहुंचना ही चाहिए. इसके लिए डीएनए टेस्ट रिपोर्ट की जरूरत होती है. इस रिपोर्ट से साफ हो जाएगा कि इस घटना में कितने आरोपी शामिल थे. आइए जानते हैं कहां तक पहुंची है सीबीआई जांच…
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