नई दिल्ली प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के 10 साल पूरे हो गए हैं। इसके तहत देश में 52 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खोले गए हैं. यह योजना 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य प्रत्येक नागरिक के लिए बैंकिंग सुविधाओं को सुलभ बनाना और सरकारी योजनाओं से सब्सिडी और नकद भुगतान सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित करना था। इस योजना से किसानों, मजदूरों, पेंशनभोगियों और घरेलू उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना का उद्देश्य गरीबों और वंचित वर्गों को मुख्यधारा की बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ना था। इसके तहत किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, नरेगा और मनरेगा के तहत दैनिक मजदूरी, पेंशन और गैस सिलेंडर सब्सिडी सीधे इसके तहत खोले गए बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है। इस योजना के तहत सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाया जा रहा है, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो रही है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लग रहा है।
सरकार की उपलब्धियां और विपक्ष का नजरिया
इस योजना की 10वीं वर्षगांठ के मौके पर केंद्र सरकार इसे अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मान रही है. मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन ने इसका श्रेय सरकार को देते हुए कहा कि यह योजना वित्तीय समावेशन की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई है. नागेश्वरन ने योजना की सफलता का जश्न मनाया और इसे भारत के वित्तीय बुनियादी ढांचे में एक क्रांति के रूप में प्रस्तुत किया।
हालांकि, इस योजना की सफलता पर विपक्ष की राय अलग है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मौजूदा सरकार पर इसका श्रेय लेने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सरकार इसे ऐसे पेश कर रही है जैसे यह योजना उसकी देन है, जबकि इसकी नींव आरबीआई के पूर्व गवर्नर डॉ. सी रंगराजन ने रखी थी. चिदम्बरम ने कहा कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर डॉ. रंगराजन की भूमिका को भूलना उचित नहीं है।
पी चिदंबरम ने कहा कि इस योजना के तहत बैंकों में लाखों खाते खोले गए और लोगों को बचत के लिए प्रोत्साहित किया गया. यह वही योजना है, जिसका नाम अगस्त 2014 में बीजेपी सरकार ने बदलकर जनधन योजना कर दिया था. हालाँकि, मुझे खुशी है कि 53 करोड़ से ज्यादा लाभार्थी इस योजना से जुड़ चुके हैं।
योजना की सफलता और सामाजिक प्रभाव
प्रधानमंत्री जनधन योजना ने करोड़ों लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़कर आर्थिक आजादी दी है। इसके तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बैंक खाते खोले गए, जिससे गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों को बचत की आदत डालने का मौका मिला। इसके अलावा डिजिटल भुगतान को भी बढ़ावा मिला है, जिससे लेनदेन में पारदर्शिता आई है और लोगों को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिलने लगा है।
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पहले प्रकाशित: 28 अगस्त 2024, 11:33 IST