सीटीआई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यह मांग की है

देश में जातीय जनगणना की मांग काफी समय से उठ रही है. विपक्ष अक्सर इस मुद्दे पर सरकार को घेरता रहता है. अब दिल्ली की व्यापारिक संस्था चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने मांग की है कि अगर जातीय जनगणना कराई जाए तो इसमें यह भी डेटा इकट्ठा किया जाए कि किस जाति के लोग सरकार को कितना टैक्स देते हैं. सीटीआई ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इस संबंध में सीटीआई सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भी भेजेगा.

सीटीआई ने पीएम को पत्र में क्या लिखा?

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सीटीआई ने कहा है कि लोगों को पता होना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में किस जाति के लोग अहम भूमिका निभाते हैं. सबसे ज्यादा टैक्स कौन देता है और क्या सरकार उनके हितों को ध्यान में रखकर कोई नीति बनाती है? पत्र में कहा गया है कि सरकार के पास इनकम टैक्स और जीएसटी से जुड़े सभी तरह के आंकड़े मौजूद हैं. परंतु आज तक यह ज्ञात नहीं हो सका कि प्रत्येक जाति सरकार को कितना राजस्व देती है।

बीमा, पेंशन, चिकित्सा सुविधा की मांग की

यह भी लिखा था कि जो भी जाति सबसे अधिक राजस्व दे, उसमें पॉलिसी, बीमा, पेंशन, चिकित्सा सुविधाएं होनी चाहिए। सीटीआई के चेयरमैन ब्रिजेश गोयल ने एक बयान जारी कर कहा है कि एक कारोबारी संगठन के तौर पर हम ऐसी मांग कर रहे हैं क्योंकि कारोबारी समुदाय में इस मुद्दे पर जोरदार चर्चा हो रही है. हजारों व्यापारियों ने इस मांग को मान लिया है.

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